रामचरित मानस

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मानस का रूप और माहात्म्य  (continue)      सानुज राम बिबाह उछाहू। सो सुभ उमग सुखद सब काहू॥ कहत सुनत हरषहिं पुलकाहीं। ते सुकृती मन मुदित नहाहीं॥3॥ भावार्थ:-भाइयों सहित श्री रामचंद्रजी ...

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